वेब सीरीज ‘कैडेट्स’ का इंतजार उन दर्शकों के बीच काफी उत्सुकता से किया जा रहा था, जो एक्शन, ड्रामा और देशभक्ति की कहानियों में रुचि रखते हैं। लेकिन जब यह सीरीज रिलीज हुई, तो कई उम्मीदें अधूरी रह गईं। हालांकि इसमें पुराने प्लॉट को नया तड़का देने की कोशिश की गई है, पर यह कोशिश पूरी तरह सफल नहीं हो पाई है। कहानी में कई ऐसे मोड़ आते हैं जो दर्शकों को भ्रमित कर सकते हैं और अंत तक पहुंचते-पहुंचते सिर चकरा सकता है।
कहानी में क्या है खास?
‘कैडेट्स’ की कहानी भारतीय सेना के कैडेट्स की जिंदगी के इर्द-गिर्द घूमती है। इसमें दिखाया गया है कि किस तरह से युवाओं को देशभक्ति, अनुशासन, और बलिदान के साथ कठिन ट्रेनिंग के माध्यम से एक मजबूत सैनिक के रूप में तैयार किया जाता है। शुरू में यह कहानी दर्शकों को आकर्षित करती है क्योंकि भारतीय सेना से जुड़ी कहानियां हमेशा ही एक खास जगह रखती हैं, लेकिन जैसे-जैसे सीरीज आगे बढ़ती है, यह रफ्तार खोने लगती है।
कहानी के पहले कुछ एपिसोड्स में कैडेट्स की ट्रेनिंग और उनकी व्यक्तिगत जिंदगियों के संघर्ष को दिखाया गया है, लेकिन बीच में जाकर यह सीरीज अपनी दिशा खोने लगती है। क्लासिक “अच्छाई बनाम बुराई” के थीम पर आधारित यह सीरीज कोई नया संदेश नहीं दे पाती।
एक्टिंग: किसने किया दिल जीतने वाला प्रदर्शन?

सीरीज में मुख्य भूमिकाएं निभाने वाले कलाकारों ने अपने किरदारों को अच्छी तरह निभाया है, लेकिन कई जगहों पर उनका अभिनय थोड़ा नाटकीय लग सकता है। लीड एक्टर ने कैडेट के रूप में अपनी मेहनत और संघर्ष को बखूबी दर्शाया है, लेकिन सहायक भूमिकाओं में आए कलाकारों का प्रदर्शन औसत ही रहा। एक्शन सीक्वेंस में उनके बीच तालमेल की कमी स्पष्ट रूप से नजर आती है, जिससे इमोशनल कनेक्शन का अभाव महसूस होता है।
तकनीकी पक्ष: क्या है कमजोर कड़ी?
सीरीज की सिनेमेटोग्राफी और विजुअल इफेक्ट्स औसत दर्जे के हैं। सेना के प्रशिक्षण और युद्ध के सीक्वेंस दिखाने में थोड़ी अधिक रचनात्मकता की आवश्यकता थी, लेकिन निर्माता इस पहलू पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाए। कई जगहों पर कैमरा एंगल्स और शॉट्स सीरीज की गुणवत्ता को गिराते नजर आते हैं। बैकग्राउंड स्कोर भी कोई खास प्रभाव नहीं डाल पाता है।
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स्क्रिप्ट और निर्देशन: पुरानी बोतल में नई शराब?
सीरीज की स्क्रिप्ट को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसमें ऐसा क्या नया है, जो दर्शकों ने पहले न देखा हो। ‘कैडेट्स’ की कहानी में नई बातों का अभाव है और इसमें ऐसा कुछ नहीं है जो इसे दूसरी मिलिट्री बेस्ड कहानियों से अलग बना सके। निर्देशक ने देशभक्ति और कैडेट्स के जीवन की कठिनाइयों को दिखाने की पूरी कोशिश की है, लेकिन पटकथा में नयापन न होने के कारण यह एक सामान्य सीरीज बनकर रह जाती है।
क्या यह देखने लायक है?

यदि आप सेना और देशभक्ति आधारित फिल्मों या सीरीज के बड़े प्रशंसक हैं, तो एक बार ‘कैडेट्स’ को देख सकते हैं। लेकिन अगर आप कुछ नया और रोमांचक चाहते हैं, तो यह सीरीज आपको निराश कर सकती है। इसके कुछ एक्शन सीक्वेंस और इमोशनल मोमेंट्स प्रभावी हैं, लेकिन पूरी सीरीज में एक साथ यह रोमांच बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।
सीरीज के कमजोर पहलू
- कहानी में नयापन का अभाव: पूरी सीरीज की कहानी पुरानी प्लॉटलाइन पर आधारित है, जिससे दर्शक बहुत जल्द बोर हो सकते हैं।
- अधिक ड्रामा, कम वास्तविकता: मिलिट्री बेस्ड सीरीज में अधिक ड्रामा दिखाना दर्शकों के बीच इसे असली रूप देने में विफल साबित हुआ।
- सहायक किरदारों की कमजोरी: जहां लीड एक्टर्स ने अच्छा प्रदर्शन किया, वहीं सहायक कलाकारों का प्रदर्शन औसत रहा।
- डायरेक्शन में कमी: निर्देशक ने कहानी को अच्छी तरह संभालने की कोशिश की, लेकिन स्क्रिप्ट और निर्देशन का तालमेल कमजोर रहा।
सीरीज के कुछ अच्छे पहलू
- कैडेट्स की जिंदगी का कठिन पक्ष: सीरीज में कैडेट्स की कठिनाइयों को अच्छी तरह से दर्शाया गया है, खासकर उनकी ट्रेनिंग और व्यक्तिगत संघर्ष।
- देशभक्ति और जुनून: सीरीज के कुछ एपिसोड्स में देशभक्ति और सेना के प्रति सम्मान का भाव देखने लायक है।
- लीड एक्टर का प्रदर्शन: मुख्य भूमिका निभाने वाले अभिनेता ने अपना रोल प्रभावी ढंग से निभाया है।
निष्कर्ष
‘कैडेट्स’ एक ऐसी वेब सीरीज है जिसमें पुरानी कहानी को नए तड़के के साथ पेश करने की कोशिश की गई है, लेकिन यह उस स्तर तक पहुंचने में नाकाम रही है। सीरीज की कहानी में नयापन न होने और निर्देशन में कमजोरी के कारण यह दर्शकों को पूरी तरह से आकर्षित नहीं कर पाती। अगर आप एक्शन और ड्रामा के बड़े प्रशंसक हैं और सेना से जुड़ी कहानियां देखना पसंद करते हैं, तो यह सीरीज एक बार देखी जा सकती है, लेकिन कुछ नया और ताजगीभरी कहानी की उम्मीद न रखें।